स्वास्तिक कैसे बनता हैं?

हिन्दू धर्म में स्वास्तिक को बहुत ही शुभ माना जाता हैं। कई बार कुछ लोग यह भूल जाते हैं की स्वास्तिक बनाने का सही तरीका क्या होता हैं और ऐसी उलझन में कई लोग स्वास्तिक को उल्टा बना देते हैं। भूलना आम बात हैं कई बार हम कुछ चीज़ो को भूल जाते हैं। अगर आप भी स्वास्तिक कैसे बनाया जाता हैं जानना चाहते हैं तो आज हम आपको पूरी प्रक्रिया बताने जा रहे हैं।

हम आपको इस लेख में स्वास्तिक से सम्बंधित सारी जानकारिया प्रदान करने जा रहे हैं जैसे की स्वास्तिक कैसे बनता हैं, स्वास्तिक का महत्व, स्वास्तिक का चिन्ह, स्वास्तिक का अर्थ, स्वास्तिक किस चीज से बनाएं, उल्टा स्वास्तिक कैसे बनाते हैं, स्वास्तिक किस दिन बनाना चाहिए, स्वास्तिक कहाँ पर बनाना चाहिए और स्वास्तिक कहाँ नहीं बनाना चाहिए।

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स्वास्तिक का अर्थ क्या होता हैं?

हम बचपन से देखते आ रहे हैं जब भी हमारे घर पर कोई शुभ कार्य होता हैं तो स्वास्तिक बनाया जाता हैं। कई गाँवो में स्वास्तिक को सातिया कह के भी जाना जाता हैं। जब हमारे यहाँ किसी वस्तु को लाया जाता हैं जैसे की कार, बाइक, साइकिल, ट्रैक्ट्रर, अलमीरा, टेलीविज़न, लैपटॉप इतियाद तब हम स्वास्तिक बनाते हैं।

इसके साथ ही साथ किसी शुभ अवसर पर जैसे घर प्रवेश पर, शादी में, दीपावली पर और भी कई सारे त्योहारों पर स्वास्तिक बनाया जाता हैं। पर क्या वास्तव में आपको पता हैं स्वास्तिक का अर्थ क्या होता हैं? बहुत काम लोगो को इसके स्वास्तिक के अर्थ के बाने में पता होता हैं ‘शुभ हो’, ‘कल्याण हो’। हिंन्दू धर्म में स्वास्तिक का वर्णन कई प्रकार से किया गया है। जैसे स्वास्तिक की चार भुजायें – चार दिशाओं, चार वेदों।

स्वास्तिक का महत्व क्या हैं?

स्वास्तिक को गणपति जी का प्रतीक माना जाता हैं और हमे पता ही हैं की गणपति जी प्रथम पूजनीय हैं। हर मंगल काम के पहले हिन्दू धर्म में स्वास्तिक बनाया जाता हैं। स्वास्तिक चार रेखाओ से मिलकर बनी होती हैं चार पुरुषार्थ, चार आश्रम, चार लोक और चार देवों यानी कि भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश और गणेश को दर्शाते हैं। स्वास्तिक चिन्ह का सुख-समृद्धि और सफलता पाने का प्रतिक हैं। हिंदू धर्म के अलावा जैन और बौद्ध धर्म में भी स्वास्तिक का महत्व देखा जा सकता हैं।

स्वास्तिक कैसे बनता हैं?

आपने कई बार देखा होगा जब किसी को स्वास्तिक बनाना नहीं आता या किसी ने बहुत कम बार स्वास्तिक बनाया होता हैं तो कई बार कुछ लोग उल्टा स्वास्तिक बना देते हैं। और कई बार तो लोगो के बिच यह बहस भी हो जाती हैं की कौनसा स्वास्तिक सही हैं। तो आइये हम आपको बताते हैं की स्वास्तिक कैसे बनता हैं।

स्वास्तिक के चार पुरुषार्थ

Step 1 – सबसे पहले आपको चार पुरुषार्थ बनाना हैं। पुरुषार्थ का मतलब हैं वो चार कर्म जो मनुष्य को अपने जीवन काल में करना चाहिए। जैसा की आप ऊपर दी गयी फोटो में देख सकते हैं।

स्वास्तिक के चार मुक्ति

Step 2 – इसके बाद हमे चार मुक्ति बनाना हैं। यह चार मुक्ति होगी मोक्ष को पाने की स्थति जो होगी सालोक्य, सामीप्य, सारूप्य और सायुज्य।

स्वास्तिक के चार अंतःकरण

Step 3 – अगर आपको लग रहा हैं की हमारा स्वास्तिक पूर्ण हो चूका हैं तो जी नहीं अभी भी हमारा स्वास्तिक अधूरा हैं। अब हमे बनाना हैं चार अंतःकरण जो बुद्धि हमारा निर्णय करती हैं। यह चार अंतःकरण हैं मन, बुद्धि, अहंकार और चित।

स्वास्तिक के चार स्तम्भ

Step 4 – इसके बाद भी शायद आपको लगेगा की स्वास्तिक पूर्ण हो गया हैं पर अभी भी हमारा स्वास्तिक अधूरा हैं। अभी भी इसमें भक्ति के जो चार स्तम्भ हैं वह बाकी हैं जो हैं श्रद्धा, विश्वाश, प्रेम और समर्पण।

इस तरह जब यह सौलह इन्द्रिया ब्रम्ह स्थान पर मिलती हैं तो पूर्ण स्वास्तिक बनता हैं।

स्वास्तिक किस चीज से बनाएं?

ज्यादा तर हमने देखा हैं की स्वास्तिक कुमकुम या फिर हल्दी से बनता हैं लेकिन स्वास्तिक किससे बनाया जाता हैं इसका भी महत्व हैं। जब हमारे यहाँ कोई शुभ अवसर होता हैं तो कुमकुम के माध्यम से स्वास्तिक बनाया जाता हैं। ईशान या उत्तर दिशा की दिवार पर हल्दी से स्वास्तिक बनाने पर घर में सुख शांति प्राप्त होती हैं। स्वास्तिक केसर, सिंदूर, रोली और कुमकुम के माध्यम से बनाया जाता हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

स्वास्तिक किस दिन बनाना चाहिए

स्वास्तिक बनाने का ऐसा कोई दिन नहीं होता हैं ज्यादातर शुभावसर पर स्वास्तिक बनाया जाता हैं। आप स्वास्तिक अपने घर के मुख्या द्वारा पर सिंदूर की मदद से बना सकते हैं।

स्वास्तिक कहाँ पर बनाना चाहिए

स्वास्तिक आप घर के मुख्या दरवाजे पर सिंदूर के माध्यम से बना सकते हैं इसके साथ ही घर की ईशान या उत्तर दिशा की दिवार पर हल्दी से स्वास्तिक बनाने पर घर में सुख शांति प्राप्त होती हैं।

स्वास्तिक कहाँ नहीं बनाना चाहिए

अगर आपके किसी ऐसी जगह स्वास्तिक बना रहे हो जहा पर गंदगी हैं और आप अपने चप्पल जूते रखते हैं तो आपको ऐसे स्थान पर स्वास्तिक नहीं बनाना चाहिए। इसके साथ ही साथ बाथरूम की दीवार पर भी आपको स्वास्तिक नहीं बनना चाहिए।

उल्टा स्वास्तिक कैसे बनाते हैं?

कई बार लोग उल्टा स्वास्तिक बना देते हैं जो अशुभ मना जाता हैं। जब कोई धन (+) चिह्न बनाकर एक रखा बायीं और मोड़ देता हैं तो स्वास्तिक उल्टा बन जाता हैं।

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