दीपावली भारत देश में मनाये जाने वालो त्यहारो में सबसे बड़ा त्यौहार है। जिसको भारत में बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है। बता दे के दीपावली को दिवाली भी कहा जाता है। दीपावली के अवसर पर भारत देश के लगभग हर घर में भगवन गणेश वा लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। अगर भारत देश का कोई नागरिक किसी और देश में रहता है तब भी वह दिवाली को काफी हर्षोल्लास के साथ मनाता है।

यह निबंध हम खासकर क्लास 1 से लेकर क्लास 12 और कॉलेज के बच्चे के लिए लिख रहे है। आप चाहो तो इस निबंध को यहाँ भी पढ़ सकते है और चाहो तो पीडीएफ फॉर्म में भी डाउनलोड कर सकते है।
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प्रस्तावना
भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है जहा पर हर धर्म के लोग रहते है। वा हर्षोउल्लास से अपने त्योहारों को परम्परा और संस्कृति के अनुसार मनाते है। दीपावली हिन्दू धर्म का सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार होता है जिसको पारम्परिक और सांस्कृतिक तरीके से मनाया जाता है। इस त्यौहार को सभी अपने परिवार रिस्तेदारो और पड़ोसियों के साथ बहुत ही उत्साह के साथ मनाते है। दिवाली भारत में हिन्दू धर्म के लोगो के द्वारा मनाये जाना वाला सबसे बड़ा त्यौहार है, इस त्यौहार को रौशनी का त्यौहार भी कहा जाता है।
दीपावली कब और क्यों मनाया जाता है?
भारत में यह त्यौहार हर साल अक्टूबर या नवम्बर के महीने में आता है। दीपावली को मनाने का मुख्य उद्देश्य भगवान् राम और उनकी पत्नी सीता और छोटे भाई लक्ष्मण के द्वारा 14 साल का वनवास काट कर लौटना था। इसमें भगवान् राम के द्वारा कई तरह की आपत्तियों का सामना किया गया था। साथ ही लंका के राजा रावण को भी भगवान् राम के द्वारा हराया गया था, और उसके बाद 14 साल का वनवास का पूरा करके अपने राज्य अयोध्या पहुंचने पर अयोध्यावासियों के द्वारा जोरदार स्वागत किया गया था। वा भगवान् राम के अयोध्या लौटने की ख़ुशी में पुरे आयोध्या राज्य को दीप जला कर जगमगा दिया था साथ ही भगवान राम के लौटने पर पुरे आयोध्या में आतिशबाजी की गई थी।
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दीपावली का मतलब
वास्तव में देखा जाये तो दीपावली दो शब्दों के द्वारा मिल कर बना है। दीप+आवली जिसका वास्तविक अर्थ दीपो की पंक्ति होता है। देखा जाये तो दीपावली मनाने के पीछे कई सारी पौराणिक कथाये सुनाई जाती है लेकिन जो सबसे मुख्य कथा है वह है लंका के राजा रावण को मार कर 14 साल का वनवास काट कर भगवान् राम के द्वारा अयोध्या लौटना बताया जाता है। इस दिन को बुराई पर हुई अच्छाई की जीत के लिए भी जाना जाता है।
पांच दिने के इस पूर्व में हर दिन किसी खास परम्पराओ और मान्यताओं से जुड़ा हुआ है। जिसमे पहला दिन धनतेरस का होता है जिसमे लोग बाग़ सोने चांदी के आभूषण या बर्तन खरीदते है। दूसरे दिन को छोटी दीपावली के रूप में मनाया जाता है, जिसमे लोग बाग़ शरीर की साड़ी बीमारियों को दूर करने के लिए सरसो का उबटन लगते है। तीसरे दिन को मुख्य दीपावली के रूप में मनाया जाता है इस दिन लोग बाग़ अपने घरो में गणेश भगवान् वा लक्ष्मी माता की पूजा करते है जिससे घर में सुख वा संपत्ति का प्रवेश हो। चौथे दिन हिन्दू कैलेंडर के अनुसार नए साल का शुभारंभ होता है। और अंत में पांचवे दिन को भाई बहन का माना जाता है जिसको हम भाई दूज के रूप में मानते है।
दीपावली का इंतज़ार
बच्चे हो या बड़े इस हर किसी को इस दिन का बहुत ही बेसब्री से इंतज़ार रहता है। इस दिन सभी बहुत ज्यादा खुश रहते है घर में कई सारे लजीज पकवान बनाये जाते है सभी एक दूसरे को दीपावली की शुभकामनाये देते है, सूरज डूबने के पश्चात भगवान् गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। कई लोगो के द्वारा अच्छे क्रियाकलापों में भाग भी लिया जाता है। साथ ही बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए गलत आदतों का त्याग करते है। लोगो का ऐसा मानना होता है के ऐसा करने से उनके जीवन में सुख समृद्धि और ढेर सारी खुशिया आएगी। साथ ही इस त्यौहार पर हर इंसान अपने परिवार, रिस्तेदारो और दोस्तों को उपहार और बधाई सन्देश देता है।
आर्थिक महत्व
देखा जाए तो दीपावली का त्यौहार खरीद की अवधि का पर्व होता है। इस पर्व में नए कपडे घर के सामान, उपहार, आभूषण, और कई तरह की ख़रीदारिया की जाती है। दीपावली के समय खर्च को काफी सुबह माना जाता है। इसके पीछे की वजह लक्ष्मी माता को धन, समृद्धि, और निवेश की देवी माना जाता है। दीपावली के वक़्त भारत में सबसे ज्यादा सोने के आभूषण ख़रीदे जाते है। देखा जाए तो आतिशबाजी की भी खरीद बहुत ज्यादा होती है लगभग हर वर्ष भारत में दिवाली के समय 5 हजार करोड़ रुपये के पटाखे ख़रीदे जाते है।
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