Motivation Story: बेहतर वा सशक्त समाज समाज का निर्माण तभी किया जा सकता है, जब उसकी नीव मजबूती के साथ रखी गई हो। यह नीव हमारे जीवन में तब रखी जाती है जब हम सभी अपनी बाल्यवस्था में होते है। बाल्यवस्था में मिलने वाली शिक्षा वा संस्कार ही हमारी पूरी जिंदगी को आगे बढाती है। साथ ही जिस देश में हम रहते है उस देश को सशक्त वा आत्मनिर्भर बनाते है, भारत देश के भविष्य निर्माण का ऐसा ही एक प्रयास अनुराधा खण्डेलवाल कर रही हैं जो की बरेली की रहने वाली है।
अनुराधा खण्डेलवाल जो की बरेली की रहने वाली है वह पिछले 8 सालो से चाय वा कुछ खास तरह के मसलो को बेच कर ऐसे बच्चो को शिक्षित करने के काम कर रही है जो गरीबी की वजह से अपनी पढाई को पूरा नहीं कर पाते है।
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इस तरह हुई शुरुआत

‘अनु कैन कूक’ की संस्थापक अनुराधा खण्डेलवाल बताती है, उनके पति मर्चेंट नेवी में थे इसलिए उन्हें भी अलग अलग देशो की यात्राएं करना पड़ती थी, उनके द्वारा बताया गया के पति के साथ उन्होंने 20 से ज्यादा देशो की यात्राएं की है वा अलग अलग तरह के व्यंजको का जयका लिया है, जिस वजह से उनकी कुकिंग में रूचि पहले से ज्यादा बढ़ गई थी। और उन्होंने अपनी इस रूचि को एक बिजनेस मॉडल बना लिया जिसके द्वारा आने वाले से पैसो से वह उन बच्चो की शिक्षा प्राप्त करने में सहायता करती है जो आर्थिक तंगी की वजह से अपनी पढाई पूरी नहीं कर पाते।
बेटी से मिली मसाले बेचने की सलाह
अनुराधा खण्डेलवाल की इतनी अच्छी कुकिंग की स्किल देख कर उनकी बेटी ने उन्हें मसाले बेचने का सुझाव दिया वा साथ में एक फेसबुक पेज भी बना दिया, जिस पर काफी कम समय में हजारो फॉलोवर्स जुड़ गए। तब उन्होंने अपनी यात्राओं के दौरान सीखे मसलो के मिश्रण को आगे बढ़ने का प्रयोग किया।
यही से उनकी एंटरप्रेन्योरशिप की शुरुआत हुई, जल्द ही उन्हें बिजनेस से पैसा मिलना लगा जिसका उपयोग उनके द्वारा पड़ोस में रहने वाले गरीब बच्चे की शिक्षा पर खर्च करने का फैसला किया। धीरे धीरे बच्चे जुड़ते गए, इन्हे देखते हुए अनुराधा ने भी बिजनेस को आगे बढ़ने का फैसला किया। आज उनका सालाना टर्नओवर करीब 15 लाख रूपए है।
अगर आप ऐसी ही और योजनाओ के बारे में जानना चाहते हैं तो पूरिजनकारी को बुकमार्क करना न भूले।